केंद्र सरकार ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को किया खत्म।

केन्द्र सरकार ने नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का ऑफिशियल गजट जारी किया है। सोमवार, 23 दिसंबर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर No Detention Policy को खत्म करने की घोषणा की। जिसके मुताबिक अब 5वीं व 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स को फेल होने पर अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि फेल होने पर स्टूडेंट्स को 2 महीने के अंदर दुबारा से एग्जाम देने का मिलेगा। अगर वे फिर से फेल होते हैं तो उन्हें अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा, बल्कि क्लास में दुबारा से पढ़ना होगा।

बीती 16 दिसंबर को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ऑफिशियल गजट “Right of Children to Free and Compulsory(Amendment) Rules, 2024” जारी किया था। जिसके मुताबिक क्लास 5th और 8th में अगर कोई स्टूडेंट फेल होता है तो उसे प्रमोट होने से रोका जा सकता है। मंत्रालय ने गजट में ऐसे स्टूडेंट्स पर ज्यादा ध्यान  देने की बात भी कही है और ऐसे स्टूडेंट्स को स्कूल से निकला नहीं जाएगा।

जरूरत पड़ने पर स्पेशलाइज्ड इनपुट दें 

  • 5वीं व 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स रेगुलर एग्जाम में फेल होते हैं तो उन्हें उसी क्लास में रोका जा सकता है। उन्हे 2 महीने के अंदर उन्हें दुबारा एग्जाम देने होंगे।
  • जरूरत पड़ने पर क्लास टीचर, स्टूडेंट की कमजोरी को पहचान कर पेरेंट्स से बातचीत करके स्पेशलाइज्ड इनपुट देगा।
  • ऐसे स्टूडेंट्स का एग्जाम और री एग्जाम उनकी याद करने की कैपिसिटी पर आधारित नहीं होगा।
  • स्टूडेंट को तब तक स्कूल से नहीं निकाला जा सकता, जब तक वह अपनी बेसिक एजुकेशन पूरी नहीं कर लेता।

इस पॉलिसी से एजुकेशन का लेवल गिर रहा है।

देश के 16 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश(दिल्ली और पुडुचेरी) पहले से ही नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म कर चुके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक स्कूली एजुकेशन राज्य सूची में आता है। लेकिन अब केंद्र सरकार ने भी इसे खत्म करने का फैसला लिया है। दरअसल, इससे पहले 2016 में CABE(सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन) ने HRD(Human Resources Development) मंत्रालय को नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने की सलाह दी थी। CABE ने कहा था कि नो डिटेंशन पॉलिसी से एजुकेशन का स्तर गिर रहा है।

चार में से सिर्फ एक ही स्टूडेंट अंग्रेजी का वाक्य पढ़ने में सक्षम।

साल 2016 की वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट में ये सामने आया था कि क्लास 5वीं के 48 फीसदी से कम स्टूडेंट्स ही 2nd क्लास का सिलेबस पढ़ पाते हैं और ग्रामीण स्कूलों में क्लास 8th के 43.2 फीसदी स्टूडेंट्स ही सिम्पल डिवीजन सॉल्व कर पा रहे हैं। 5th क्लास में 4 में से सिर्फ़ एक ही स्टूडेंट अंग्रेजी का वाक्य पढ़ सकता था। कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने प्राइमरी एजुकेशन पर आर्टिकल 16 के इस असर को लेकर चिंता जाहिर की थी। इसके अलावा टीआरएस सुब्रमण्यम कमेटी ने भी नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने की सलाह दी थी।

नो डिटेंशन पॉलिसी क्यों लागू की गई थी?

कांग्रेस की केंद्र सरकार साल 2009 में राइट टू एजुकेशन लेकर आई थी, नो डिटेंशन पॉलिसी उसी कानून का हिस्सा थी। भारत मे एजुकेशन का लेवल सुधारने के उद्देश्य से इसे लाया गया था, बच्चों को बेहतर अवसर दिए जाए और वे स्कूल आते रहें। फेल होने पर कई स्टूडेंट्स के सेल्फ कॉन्फिडेंस को ठेस पहुंच सकती है ऐसे में फिर वे अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ देते हैं। इसलिए नो डिटेंशन पॉलिसी को लाया गया था ताकि वे क्लास 8th तक स्कूल आते रहें।

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